जिनको नौकरी नहीं मिलती, बीएड कर लेता है। भविष्य में आइएएस बनने से कठिन होगा शिक्षक बनाना। Become Teacher is harder than IAS - Niyojit Teacher - BPSC TRE - HM

जिनको नौकरी नहीं मिलती, बीएड कर लेता है। भविष्य में आइएएस बनने से कठिन होगा शिक्षक बनाना। Become Teacher is harder than IAS

 Teacher Job
कोटा में निवर्तमान माननीय केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक (एचआरडी मंत्री) ने सितंबर 2019 में कहे थे कि कुछ लोगों ने शिक्षा को दुकान बना लिया है। जिसे नौकरी नहीं मिलती वो बीएड करता है, फिर खड़ी हो जाती बेरोजगारों की फौज। 

निशंक ने कहा कि अभी हालात यह हैं कि जिसे नौकरी नहीं मिलती, वह बीएड कर लेता है। देश में हर साल 19 लाख छात्र बीएड कर निकल रहे हैं और सिर्फ 3.30 लाख ही शिक्षक बन पाते हैं। सरकार नहीं चाहती कि शिक्षित  बेरोजगारों की फौज तैयार हो, इसलिए बीएड का पाठ्यक्रम चार साल का किया गया है। शिक्षा की गुणवत्ता पर हमारा विशेष जोर है। शिक्षक चयन के लिए ऐसे मापदंड बनाएंगे जो आइएएस बनने से भी कठिन होंगे शिक्षक बनना। निशंक निजी शिक्षण संस्थानों व कोचिंग संस्थानों की ओर से आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए थे। उन्होने कहा कि हम तेजी से अंतरराष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं की रैंकिंग में ऊपर जा रहे है। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन है कि हम ज्ञान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व स्तर पर पहुंचे। source. patrika.com 

Teacher Job Tuff

बिहार के शिक्षा विभाग द्वारा जारी अध्यापक नियमावली 2023 को इसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है। नियमावली की अधिसूचना प्रकाशित होते ही शिक्षकों और शिक्षक बनने के आश में सॉफ्टवेर से केंद्रीयकृत विज्ञप्ति का इंतजार कर रहे शिक्षक अभ्यर्थियों के बीच भारी आक्रोश देखा जा सकता है। विभिन्न शिक्षक संगठन लगभग 25 संगठनों ने मिलकर एक महासंघ का गठन किया है। महासंघ ने 24 घंटे का अल्टिमेटम सरकार को दिया है। इस नियमावली को वापस लेने के लिए। 

बिहार में विद्यालय अध्यापक और प्रधानाध्यापक बनना मतलब लोहे के चने चबाना

अप्रैल माह की दस तारीख को बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक सेवा-शर्त नियमावली, 2023 अधिसूचित की गई है। अध्यापक बनना अब आसान नहीं रहा बल्कि लोहे के चने चबाने जैसा हो गया है। ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद सीईटी बीएड एंट्रेस या डीएलएड एंट्रेस कंपीट कर दो साल के सघन प्रशिक्षण के बाद सीटेट/बीटेट या एस्टेट क्वालीफाईड अभ्यर्थी बीपीएससी से अध्यापक बनने की प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता के उपरांत ही आप अध्यापक बन सकेंगे। विगत साल 2022 में नवस्थापित और उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक पद हेतु प्रतियोगिता परीक्षा बीपीएससी ने आयोजित की थी। प्रश्नों का कठिनाई स्तर उच्च रहने और निगेटिव मार्किंग के कारण 6421 रिक्तियों के विरुद्ध केवल 420 अभ्यर्थी सफल हुए और अंततः 369 को नियुक्ति पत्र प्राप्त हुआ। इनमें भी 355 ने योगदान किया है क्योंकि दायित्व से बंधे राज्य कर्मी होने के बावजूद यहां वेतन विसंगति मौजूद है। इसी तरह की वेतन विसंगति अध्यापक पद पर संभावित है। बिहार में युवाओं के पास रोजगार के साथ-साथ समाज सेवा का बड़ा अवसर शिक्षक बनकर संभव है। पर ताजा सूरत-ए-हाल में अध्यापक और प्रधानाध्यापक बनने की राह कांटों भरी हुई है। 

743 Adhyapak Rule
Bihar Teacher Rule 2023

उधर लंबे समय से कार्यरत नियोजित शिक्षक भी ठगे महसूस कर रहे हैं। उनका पक्ष है कि विभाग की इस अधिसूचना के साथ राज्य कर्मी के तौर पर उन्हें सामंजित किया जाना चाहिए था। पात्रता परीक्षा या दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण होने के बावजूद उन्हें बीपीएससी की अध्यापक परीक्षा से गुजरने के बाद नयी सेवा शुरू करने की बात न्यायोचित नहीं है। यह तो उन्हें अपमानित करने जैसा है। वे बेहद आक्रोशित हैं और उनके राज्य नेतृत्व आन्दोलन की चेतावनी सरकार को दे रहे हैं। आखिर सरकार की संवेदनशीलता कहां गायब है ? वैसे लोग जो शिक्षकों को अयोग्य घोषित करते हुए थकते नहीं थे वे इस मुद्दे को लपक कर शिक्षकों के पक्ष में बोलते हुए अपनी राजनीति साधने की कोशिश कर रहे हैं। हां, जब वे सरकार में होते हैं तो कहते हैं कि वे क्या भगवान् की हैसियत भी नहीं कि शिक्षकों को पूर्ण वेतनमान दें। 

आंदोलन के लिए 🔗लगभग 25 संगठनों ने मिलकर एक महासंघ का गठन एमएलए, एमएलसी का साथ 

बहरहाल, सरकार और नियोजित शिक्षकों के साथ-साथ सातवें चरण की बहाली की उम्मीद रखे हुए शिक्षक अभ्यर्थियों के बीच तर्क-वितर्क और तनातनी बनी है। ऐसे में बच्चों का नुकसान हो सकता है। कार्यरत शिक्षकों का उत्साह बुझता दीख रहा है क्योंकि सरकार से उनकी बहुत उम्मीद थी। बिहार के मुखिया को चाहिए कि शिक्षकों की मांग पर पुनर्विचार करते हुए समस्या का समाधान करें।

यदि बिहार सरकार इस नियमावली को वापस नहीं लेती है या इसमें संशोधन नहीं करती है तो जो 10 वर्ष से भी अधिक समय से कार्यरत नियोजित शिक्षकों को आयोग द्वारा ली जाने वाली परीक्षा पास करना कठिन होगा। कार्यरत नियोजित शिक्षक अब सेवानिवृत होने लगे हैं आने वाले 5 से 8 वर्ष में आधे से अधिक नियोजित शिक्षक सेवानिवृत हो जाएंगे। इस उम्र के पराव में क्या ये परीक्षा की तैयारी कर पाएंगे? यदि सभी शिक्षक परीक्षा की तैयारी में लग जाएंगे तो शिक्षा का दशा और खराब हो जाएगा। इसमें लाभ उन शिक्षक अभ्यर्थियों को अधिक होगा जो करेंट में अध्ययनरत हैं।

एक तो 50-55 वर्ष की आयु में परीक्षा लेना साथ ही नियोजित शिक्षक और शिक्षक अभ्यर्थी का परीक्षा एक साथ लेने के नियम बिलकुल अव्यवहारिक होने के बात शिक्षक संघ कर रहे हैं। कार्यरत नियोजित शिक्षक दक्षता या पात्रता परीक्षा पास कर शिक्षक बने हुए हैं। इसलिए शिक्षकों को इस तरह से समाज में जलील करने से कतई शिक्षा में सुधार नहीं होगा। यदि शिक्षकों का मनोबल और कम किया जाएगा को इसका असर अवश्य शिक्षा पर पड़ेगा। 

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