नितीश कुमार ने अभी बड़ा बयान दिया है अब होगी केवल सरकारी नियुक्ति, नियोजित शिक्षकों का वेतन बढ़ेगा। उन्होने आगे कहा की जो नियोजित शिक्षक अभी पढ़ा रहे हैं उनके वेतन में होगी बढ़ोतरी साथ ही कहा की अब आगे किसी भी शिक्षक का नियोजन से बहाली नहीं होगा अब सरकारी नियुक्ति क्या जाएगा। संयुक्त शिक्षक संघर्ष मोर्चा के चेतावनी के बाद यह पहला बयान आया है। नहीं मिलेगा प्रोमोशन से राज्यकर्मी का दर्जा।
शिक्षा मंत्री का भी बयान आया है शिक्षकों से राज्यकर्मी परीक्षा में आसान सबाल पूछे जाएंगे।
बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक (नियुक्ति स्थानांतरण अनुशासनिक कार्रवाई एवं सेवा शर्त) नियमावली 2023 के विरोध में राज्य के 28 शिक्षक संगठनो को एकजुट होने के लिए 13 अप्रैल 2023 को आमंत्रित किया गया था जो हैं -
- बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ
- बिहार नगर पंचायत प्रारंभिक शिक्षक संघ
- बिहार नगर पंचायत प्रारंभिक शिक्षक संघ मूल
- परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ
- शिक्षक संघ बिहार
- भावी प्रारंभिक शिक्षक संघ
- अनुसूचित जाति जनजाति शिक्षक संघ
- बिहार प्रदेश प्रारंभिक शिक्षक संघ
- बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ
- TET-STET उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ
- अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ
- बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ
- TET शिक्षक संघ
- बिहार प्रगतिशील शिक्षक कल्याण संघ
- TET शिक्षक संघ मूल
- प्रारंभिक शिक्षक कल्याण संघ
- स्नातक ग्रेड प्रशिक्षित शिक्षक संघ
- परिवर्तनकारी शिक्षक महासंघ
- TET प्रारंभिक शिक्षक संघ
- उर्दू-बंगला शिक्षक संघ
- बिहार उर्दू शिक्षक संघ.
- प्रारंभिक शिक्षक संघ (गोपगुट)
- नवनियुक्त माध्यमिक शिक्षक संघ.
- नवनियुक्त माध्यमिक शिक्षक संघ (गोपगूट)
- प्रारंभिक- माध्यमिक शिक्षक संघ.
- बिहार उच्चतर माध्यमिक शिक्षक संघ.
- उच्च माध्यमिक +(2) शिक्षक संघ.
- नियोजित शिक्षक स्थानांतरण संघर्ष मंच
जिनको नौकरी नहीं मिलती, बीएड कर लेता है।👈
संयुक्त शिक्षक संघर्ष मोर्चा |
एमएलसी |
MLA |
नई नियमावली के अधिसूचित होने के बावजूद अवकाश की स्वीकृति के लिए पंचायती राज पदाधिकारी के यहाँ पूर्व के नियुक्त शिक्षकों को भटकना पडे़गा। पूर्व के नियुक्त शिक्षकों की प्रोन्नति पूरे सेवाकाल में नहीं मिलना एवं प्रधनाध्यापक के पद पर भी सीधी भर्ती करना शिक्षकों के बीच सरकार की उकसावे की कार्रवाई है। सेवाकाल में प्रोन्नति नहीं देकर नैसर्गिक न्याय का हनन किया गया है, जो संवैधनिक अधिकारों का भी उल्लंघन है।
ताज्जुब तो यह है कि पूर्व से लागू नियमावली निरस्त नहीं की गई है और शिक्षकों को पंचायती राज के भरोसे छोड़ दिया गया है। सरकार के वर्तमान निर्णय से प्रदेश के विद्यालयों में एक साथ तीन कोटि के शिक्षक कार्यरत हो जायेंगे जो अत्यंत हास्यास्पद एवं पीड़ादायक है।